तेरे तस्वीर

तेरे तस्वीर को देखे अरसा हो गया
इस तपते रेगिस्तान मे पानी गिरने पर भी तरसा रह गया

तेरे बिना बारिश की बूदे बेगाना सा लागे है
ठंडी परी शाम मे कम्बल की गर्माहट सी पाने को तरसा है दिल

किस बात की नाराज़गी खुदा जाने
छोटी सी बात मे बात बंद करना क्या ठीक है
बात ही ना हो तोह सुलह कैसे होंगी

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Responses

  1. तपते रेगिस्तान मे पानी गिरने पर भी तरसा रह गया
    बहुत खूब, सुन्दर पंक्तियाँ,
    छोटी सी बात मे बात बंद करना क्या ठीक है में आनुप्रासिक छटा आकर्षित कर रही है।
    वाह

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