गजल
हर तरफ तेरे नजारे नजर आ रहे है |
तेरे इश्क के इशारे नजर आ रहे है |
हुश्न ऐसा चाँद फीका हुआ जाता है |
अंधेरों हुश्न करारे नजर आ रहे है |
आंखो शराब का सागर लहराता है |
हुश्न इश्क किनारे नजर आ रहे है |
तब्बशुम लबो गुलाबी जिगर पार है |
बिखरी जुलफ़े कारे नजर आ रहे है |
देख जलवा ए हुश्न ईमान खतरे मे है |
ईमान वाला हम बेचारे नजर आ रहे है|
तुमसे पहले कोई याद न बेकरारी थी |
शामों शहर तेरे सहारे नजर आ रहे है |
वक्त ऐसा न गुजरा जब तेरी याद आई |
दिल लूटा गम के मारे नजर आ रहे है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286
बहुत सुंदर ग़ज़ल
haardik aabhaar
बहुत ही सुन्दर
dhanyawaad aapkaa
अतिसुंदर
shukriyaa bahut
सुन्दर अभिव्यक्ति
aabhaar paka
काबिल- ए-तारीफ
aabhar pandit ji