जाने कहाँ चले जाते हैं
जाने कहाँ चले जाते हैं
सांस उखड़ी, धड़कन रुकी
उड़ जाते हैं पखेरू, फिर
जाने कहाँ चले जाते हैं।
कुछ देर पहले ही बोलना
सारी संवेदना महसूस करना
कुछ देर बाद ही मौन हो जाते हैं
जाने कहाँ चले जाते हैं।
क्या बनाया है मायाजाल
जाने तक उसी में समाये रहते हैं,
सोचते हैं कभी नहीं जाऊंगा
लेकिन जाने का पता ही नहीं लगता,
जाने कहाँ चले जाते हैं।
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद जी
Very nice lines
सादर धन्यवाद
बहुत ही मार्मिक भाव….
“जाने कहां चले जाते हैं,सांस उखड़ी धड़कन रुकी
उड़ जाते हैं पाखेरू,फिर जाने कहां चले जाते हैं”
किसी अपने के दुनियां से जाने के गम की बहुत सलीके से अभिव्यक्ति की है। लेखनी की विलक्षण प्रतिभा को प्रणाम ।
आपके द्वारा की गई इस बेहतरीन समीक्षा हेतु सादर आभार व्यक्त करता हूँ। आपकी लेखनी की यह विलक्षणता बनी रहे। सादर अभिवादन।
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर
Thank you
सुंदर |
सादर धन्यवाद
अतिउत्तम
Thank you
Very nice
Thank you ji