कविता के भाव

कविता में वो भाव नहीं हैं,
जो मैं कहना चाहूं
स्वर में वो माधुर्य नहीं है
जो तुम्हें सुना मैं पाऊं
वाणी में वो चातुर्य नहीं है
कैसे मैं समझाऊं
कविता में वो भाव नहीं है
कैसे तुम्हे सुनाऊं
फ़िर भी ना घबराऊं
मैं, मन तुम भी ना घबराना
धीरे – धीरे सीख ही लूंगी
कविता में भाव भी लाना..

*****✍️गीता

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Responses

  1. कवि गीता जी की अतिउत्तम कविता। सकारात्मक विचारों की ओर प्रेरित करते हुए, सरल सहज शब्दों में उत्तम कविता है।

    1. कविता की समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी, आपकी समीक्षा हमेशा ही प्रेरक होती हैं । बहुत बहुत आभार सर 🙏

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