कलयुग का रावण
– ** कलयुग का रावण -**
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हे राम रमापति अजर अमर
रावण से ठाना महासमर
ले आए जग की जननी को
अपनी प्रिय अर्धांगिनी को ..।
वह रावण की मर्यादा थी
नहीं नजर लगा मान में
सीता भी महाकाली थी
लंका ढल जाती श्मशान में ..।
अब इस भारत में भी
हरण रोज ही होते हैं
कोई रामकृष्ण नहीं आता
अबला नयना रोते हैं ..।
रावण दुशासन सिर नहीं कटते
वह स्वयं काट ले जाते हैं
कहीं पर लाश पड़ी होती है
रावण जिंदा रह जाते हैं ..।
Nice
बहुत खूब
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति भाईसाहब👌👌