पथ में न रुक जाना
पवन सा प्रवल मन सागर सा झाग तन छलके अनुपम कांति सूर्य दीप बन जाना *पथ में न रुक जाना* —-कृते-के.के.पाण्डेय
पवन सा प्रवल मन सागर सा झाग तन छलके अनुपम कांति सूर्य दीप बन जाना *पथ में न रुक जाना* —-कृते-के.के.पाण्डेय
सीख…. एक कीट पतंगा दिख रहा था अद्भुत मैं, उसको लख रहा था वह धीरे से उड़ चला , और प्रकाशित हो गया , पाठ…
भावना सद्भावना ( 12-मात्रा ) स्वच्छंद वितान में मानवीय विधान में शब्द की झंकार में गीत मधुर सुहावना भावना सद्भावना ..। तन में दिव्य शक्ति…
18-हँसना मेरी मजबूरी ( मुक्त छंद 16 मात्रा ) फूलों में आज सुगंध नहीं खुशियों का कोई भाव नहीं न चेहरे पर मुस्कान कहीं पर…
– ** कलयुग का रावण -** ********************* हे राम रमापति अजर अमर रावण से ठाना महासमर ले आए जग की जननी को अपनी प्रिय अर्धांगिनी…
61-नहीं मरेगा-रावण अहम भाव में बसता हूं मैं कभी न मरता रावण हूं मैं स्वर्ण मृग मारीच बनाकर सीता को भी छलता हूं मैं..। किसे…
61-नहीं मरेगा-रावण अहम भाव में बसता हूं मैं कभी न मरता रावण हूं मैं स्वर्ण मृग मारीच बनाकर सीता को भी छलता हूं मैं..। किसे…
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