Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
बहुत ख़ूब
कहीं पर लग रहा है तुकांत वाली है कहीं पर लग रहा है अतुकांत है फिलहाल पूरी कविता में कनफ्यूज़ ही रही…
रोम-रोम होना चाहिए था सर..
आपने ंअपनी कविता में लुप्तोपमा अलंकार का प्रयोग किया है जो बहुत कम लोग करते हैं वो भी शायद गलती से किया है पर अच्छा है…
कविता लिखने के लिए साहित्य का ज्ञान होना भी आवश्यक है मेरी राय है पढ़ा भी कीजिए और व्याकरण
सम्बंधी त्रुटियां आपसे हो जाती हैं जैसे योजक चिह्न और चन्द्रबिंदु वाली वो भी ठीक कीजिए…
भाव अच्छा है पर शिल्प बेढंग है बिखरा है पर शीर्षक उम्दा है
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वाह वाह
Nyc