*गुलाबी धूप की ओढ़ चुनरिया*
गुलाबी धूप की,
ओढ़ चुनरिया
देखो सर्दी आई है
ठंडा कोहरा आसमान में,
बादल भी संग लाई है
पर्वतों का सा,मौसम हो जाता
चाय सुहाती है हरदम
बिन शॉल और बिन स्वेटर तो,
निकला सा जाता है दम
ओस की बूंदें गिरे निरन्तर,
पूरी-पूरी रात
ठंडा-ठंडा पानी आता,
जम जाते हैं हाथ
फ़िर भी मन को भाए सर्दी,
कितनी मुझे सुहाए सर्दी
*****✍️गीता
सर्द ॠतु का सजीव चित्रण
धन्यवाद सुमन जी
गुलाबी सर्दी और गुलाबी धूप ने सावन का
माहौल गुलाबी कर दिया है…
आपने सर्दी के मौसम को
रोमैंटिक बना दिया है
हा- हा, इतनी सुन्दर समीक्षा की है प्रज्ञा आपने धन्यवाद हेतु शब्द कम पड़ रहे हैं। बहुत बहुत आभार
Welcome sister
बहुत सुंदर
शुक्रिया भाई जी 🙏