बेटी हुई पराई
बेटी हुई पराई देखो बेटी हुई पराई,
यह कैसी ऋतु आई देखो बेटी हुई पराई
मेरे आंगन के पौधे की डाली
बड़ी ही नाजुक नाजुक सी
वह थोड़ी नखरेवाली,
मेरे आंगन में जब वह आई
मुझे लगी बहुत ही प्यारी
मेरे मन को बहुत सुहाई
आज विदाई की इस बेला में,
देखो आंख मेरी भर आई
मेरी आंखों से मोती बरसे
ये मोती मैं तुझ पर वारूं,
आजा तेरी नजर उतारूं
बेटी जो चाहे सो ले जा
पर एक चीज मुझे भी दे जा,
यही छोड़ जा अपने नखरे
कहीं किसी को ये ना अखरें
नखरे छोड़ के जब तू जाएगी
देख तू कितना सुख पाएगी
मेरी है बस यही दुआएं
तू जहां भी जाए खुशियां पाए
तू जहां भी जाए खुशियां पाए
*****✍️गीता
बेटी को पराया धन ही कहा जाता है और वह दूसरे घर की अमानत होती है
जिसे प्रेम और सम्मान से सहेजने की जरूरत होती है
क्योंकि वह बहुत कुछ छोंड़कर आती है
समीक्षा के लिए धन्यवाद प्रज्ञा
सुंदर
धन्यवाद ऋषि जी
उत्तम
हार्दिक धन्यवाद भाई जी 🙏