ओ! कविता के सृजनकर्ता

ओ! कविता के सृजनकर्ता, उठा कलम व जोश जगा।
घिर से गए निराशा में जो, उनकी चिंता दूर भगा।
यदि लिखना तू बंद करेगा, कैसे लहर चलाएगा
डगमग पग धरते तरुण को, कैसे राह दिखाएगा।
चुप रह कर तू तंगहाल को, स्वर कैसे दे पाएगा,
दर्द ठिठुरते बच्चों का तू, नहीं तो कौन कहेगा।
तू अब तक पथप्रदर्शक बन, समझाता आया है,
तूने ही दुख-दर्द सभी का, कविता में गाया है।
जीवन का उल्लास और दुख, लिखना अब भी शेष है,
कलम उठा ले सृजन कर ले, लक्ष्य अभी भी शेष है।
——– सतीश चंद्र पाण्डेय,

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. कवि सतीश जी की कविता लिखने की प्रेरणा देती हुई
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

    1. बहुत धन्यवाद। कवि को अपनी संवेदना जरूर लिखनी ही होगी, संवेदना को कविता में व्यक्त कर कवि को आनंद की अनुभूति होती है।
      स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा।
      —- आम जीवन का दर्द लिखना ही होगा। कलमकार को रोशनी बिखेरनी ही होगी।
      समीक्षागत टिप्पणी हेतु आपका आभार गीता जी

+

New Report

Close