Categories: शेर-ओ-शायरी
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उम्मीदों का नववर्ष
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की। सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।। आगे बढ़ते हैं, कड़वे पल भुला कर। छोड़ वो यादें, जो चली…
नववर्ष
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की। सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।। आगे बढ़ते हैं, कड़वे पल भुला कर। छोड़ वो यादें, जो चली…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
भूख
भूख जब आती है तन मन में हलचल मचाती है भूख को जिंदा रखने के लिए दुनिया क्या क्या नहीं खाती भूख जब भूखी रह…
जंगल में आग लगाकर
क्या कोई हमें बतायेगा वो कौन निर्दयी होगा जंगल में आग लगाकर घर में चैन से सोया होगा। लपटों से जिंदा जलकर जो खाक हो…
क्षुधा मिटाने की खातिर, निर्दोषों को क्यूं मारा जाता है कैसा शैतान होता है वो मानव, जो अपनी खुशी के लिए जीवों की जान लेता है
शानदार
बहुत खूब