उज्जवल बनाओ नया साल
अपनी त्रुटियों में करके सुधार
उज्जवल बनाओ नया साल।
आलस्य व नकारात्मकता को
हे मानव जीवन से निकाल।।
समय का न दुरपयोग कर
यह पर्याप्त है रख ख्याल।
स्वयं को नियंत्रित करके
सहजता से जीवन संभाल।।
साहस और आत्मविश्वास की
अंतर्मन को तू पहना खाल।
सकारातमकता को बना लेना
सदैव विकट क्षणों में ढाल।।
सपने सच हो तेरे अनमोल
किताबों से प्रेम करना अपार।
संकल्प तेरा ना विफल हो
पूर्व त्रुटियों में करना सुधार।।
गुरुजन शिक्षित होकर तुम
स्वच्छ बनाना संपूर्ण समाज।
मात- तात से आशीष लेकर
सफल बनाना अपूर्ण काज।।
जीवन की भाग दौड़ में तुम
प्रिय मित्रों को न कभी भूल जाना।
विपत्ति में वह संग होंगे तुम्हारे
सदैव उनके काम तुम भी आना।।
भले आसमान को छू लो तुम
प्यार को कभी न करना कम।
मैं के अहम में आकर आज
भुला न देना तुम कल थे हम।।
अपने आचरण से जीवन को
रंग बिरंगा करना जैसे गुलाल।
खुद को बेहतर बनाना हर दिन
क्योंकि बीतेगा यह भी साल।।
अतिसुंदर रचना
आपका अपार धन्यवाद
अतुलनीय सराहनीय कविता
नए साल पर आधारित यह कविता इतने सुंदर शब्दों में लिखी गई है कि यह सभी को जीवन में प्रेरित करेगी
अति उत्तम कविता नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं
Thanks writer ji
बहुत खूब
उत्तम रचना
धन्यवाद जी
अति सुन्दर प्रस्तुति
उत्तम प्रस्तुति, लेखनी की निरंतरता बनी रहे