Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है सर आपने।
बहुत ही बढ़िया कविता
वाह
पाण्डेयजी बहुत सुंदर अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग
“घर के भीतर छाता ओढ़कर” और बहुजनन हिताय की भावना कविता में चार चांद लगता है। अतिसुंदर रचना।।