कार्य हमारे मन के
कार्य हमारे मन के
अनुरूप हो
थोङी सी छाया
ना सिर्फ धूप हो।
हम सही मायने में
कार्य उसे ही कहेंगे
जिससे कोई
सकारात्मक
परिणाम का
आभास मिलें ।
हमारे कार्य का
एक मकसद हो
हमारा यह मकसद
हमारे ह्रदय को
अथाह आनंद से
सराबोर कर दे।
कर्म वही करें
जो मन से पसंद हो
वरना हमारे काम
जेल में कैदियों से
कराये गये कार्य के
समरूप हो ।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
सादर धन्यवाद सतीश जी
बहुत खूब
सुन्दर अभिव्यक्ति