जिंदगी

जिंदगी थी बस
चंद लम्हों की दास्ता
रह गयी अधूरी फिर भी
अनकही, अनसुनी

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यादें

बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…

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