*खिल गए गुलाब*

ज़रा सी बारिश के छींटों से,
क्यारी में खिल गए गुलाब।
सुहाना सा हुआ मौसम,
बहने लगी शीतल पवन।
मयूर नृत्य कर उठे बाग में,
कोयल गाती मीठे राग।
इन्द्रधनुष भी दिखे गगन में,
मीठे गीत बजे हैं मन में।
“गीता”का हृदय हुआ है हर्षित,
प्रज्ज्वलित हो उठे चिराग॥
______✍गीता

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Responses

  1. गीता जी आपका हृदय ही नहीं हमारा भी मन हर्षिता हो उठा है
    अत्यंत सुंदर रचना

  2. गीता”का हृदय हुआ है हर्षित,
    प्रज्ज्वलित हो उठे चिराग॥
    **
    अनुप्रास अलंकार से सजी हुई बहुत सुंदर कविता है गीता जी आपकी

  3. ज़रा सी बारिश के छींटों से,
    क्यारी में खिल गए गुलाब।
    सुहाना सा हुआ मौसम,
    बहने लगी शीतल पवन।
    —- कवि गीता जी की बहुत ही शानदार रचना। वाह

  4. सचमुच गीता जी इतना सुंदर प्रकृति वर्णन पढ़कर मन रोमांचित हो उठा

    1. सुंदर सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद कमला जी बहुत-बहुत आभार आपकी सराहना से मनोबल प्राप्त होता है

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