काफ़िला

धीरे-धीरे बढ़ रहा है काफ़िला। धीरे-धीरे कम हो रहे हैं फासले मंज़िल है बस कुछ ही दूर। तू अपनी हिम्म्मत भांप रे।

अच्छा है

ना मिलने का रोज़ बहाना अच्छा है। यादों से हमको तड़पाना अच्छा है । सोते-सोते आ जाते हो ख्वाबों में हमसे मिलकर आँख चुराना अच्छा…

अच्छा है

ना मिलने का रोज़ बहाना अच्छा है। यादों से हमको तड़पाना अच्छा है । सोते-सोते आ जाते हो ख्वाबों में हमसे मिलकर आँख चुराना अच्छा…

अच्छा है

ना मिलने का रोज़ बहाना अच्छा है । सोते सोते आ जाते हो ख्वाबों में । हमसे मिलकर आँख चुराना अच्छा है।

अच्छा है

ना मिलने का रोज़ बहाना अच्छा है । सोते सोते आ जाते हो ख्वाबों में । हमसे मिलकर आँख चुराना अच्छा है।

चुन लो

चुन लो तुमको जो चुनना है। मुझे हर फ़ैसला मंज़ूर है। तुम्हारी दोस्ती भी तुम्हारी बेवफाई भी।

चुन लो

चुन लो तुमको जो चुनना है। मुझे हर फ़ैसला मंज़ूर है। तुम्हारी दोस्ती भी तुम्हारी बेवफाई भी।

चुन लो

चुन लो तुमको जो चुनना है। मुझे हर फैसला मंज़ूर है। तुम्हारी दोस्ती भी तुम्हारी बेफफ़ाई भी।

खामोशी

तुम्हारी खामोशी भी क्या चीज़ है ना जाने क्या कह जाती है। जो कहना चाहतें हो नही कहती हजारों फसाने सुनाती है।

खामोशी

तुम्हारी खामोशी भी क्या चीज़ है ना जाने क्या कह जाती है। जो कहना चाहतें हो नही कहती हजारों फसाने सुनाती है।

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