Tu Naya He
Tu Naya he….
Tu Naya he….
क्या मंजिले इतनी जरूरी हैं कि रास्तों की कद्र न हो? मुकाम ए जिंदगी पर तो हे दोस्त राहे ही पहुंचाती हैं!
यूं तो मैं बहुत खुश हूं कि तुम्हे मिल गया वो जिसकी चाहत थी तुम्हे मगर इक टीस जरूर है जो दिल को कचोटती रहती…
पुरानी सी डायरी के फ़टे पन्ने पर लिखी अधूरी नज्म हूं मैं जिसकी खूशबू बरकरार है अभी भी कई मौसम गुजर जाने के बाद
आंखे मीच कर भी में तुम्हे पहचान लेती हूं जिंदगी तुम्हे मैं जीने से पहले जान लेती हूं
शब्दों का पिटारा तो हम रखकर बैठें हैं लेकिन वो शब्द नहीं, जो हाल-ए-दिल बयां कर सके
कैसे दूं हिसाब अपनी बेहिसाब मोहब्बत का वो पूछ बैठे जो आज कि कितनी मोहब्बत है मुझे
पता नहीं तुम कैसे लिख लेते हो कविता, इतनी आसानी से मेरे तो ख्याल ही गुल रहते है ठहरते ही नहीं कागज पर
पानी के बुलबुले जैसी जिंदगी है मेरी सुन्दर है, सूरज से रोशन भी मगर कब हो जाये खत्म फ़ूट जाये कब बुलबुला, खबर नहीं
वो मेरी काली जुल्फ़ों को घटाओं सा सुंदर कहते थे आंखो को मेरी वो ठहरा हुआ समंदर कहते थे आज वो करीब नहीं तो सोचती…
बेशक हम बंद हैं अपने ख्यालों के दुनिया में अगर तुम्हे आना होता तो तुम दरवाजे पर आते जरूर
क्या लिखूं जो अब तक लिखा नहीं कहने को बाकी अब कुछ रहा नहीं जिंदगी पानी सी थी, बह चुकी है अब तो बस खालीपन…
है कोई दरवाजा जो अभी तक बंद है मेरे दिल को अभी तुमने देखा ही कहां है
किताबों में दबे फ़ूल सी है जिंदगी मेरी सूखी सी है मगर महक अभी तक बची है
कब इश्क़ की इलायची जिंदगी में घुलती है जिंदग़ी में महक तभी ताउम्र ठहरती है
Teri Yaado ka ghar bana ke rahati huoi puche agar ko mera naam, naam tera hi kahati hu
हवाओं में पतंग की तरह उड़ने को जी करता है बैठकर लहरों की बाहों में तैरने को जी करता है जी करता है पा लूं…
कितने भी जुल्म तुम कर लो, बांध दो कितनी ही जंजीरो से मिटा देंगे तेरी हस्ती पल भर में जब छूटेंगे हम तीरों से
कहां कह पाती हूँ मैं कुछ तुमसे अल्फ़ाज जज्बातों का साथ ही नही देते।
जैसे जैसे मकर संक्रांति के दिन करीब आते हैं उत्सव का माहौल हवा में भर जाता है इतने ध्यान से तैयार किया गया कागज धागे…
लोग पुराने अफ़साने लिखते है मैं नई इबारतें लिखना चाहती हूं
खुद को अब किस जगह ढ़ूढ़ूं अब मैं मैं मुझी में खो गई हूं शायद
दर्द के हर एक कतरे को सहेज कर रखती हूं मैं कब जाने कौन सा कतरा तुम्हे मेरे करीब ले आये
चुनावों के इस मौसम में फिजा में कई रंग बिखरेंगे अगर कर सके हम अपने मत का सही प्रयोग हम नये युग में नयी रोशनी…
मां तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो सुख-दुख, खुशी-गम हर परिस्थिति में थामें हाथ बिन कुछ कहें ही समझती, मेरे दिल की हर बात मां…
सोचा था जिंदगी इक पूरी किताब होगी मगर ये तो चंद लफ़्जों में ढ़लकर रह गयी|
नये साल का हम जशन मनायें कैसे बीता हुआ साल बार बार आकर आंखे नम कर जाता है|
उनके ख्यालों में हमार ख्याल हो इतनी सी आरजू है उनके लफ़्जों मे हमारा जिक्र हो इतनी सी जुस्तजू है
क्या बतायें क्या हो गया है हमें तुम ही बताओ कि क्या बतायें हम
कोई काली कमा के रईस हो जाता है कोई सबकुछ लुटा के रईस हो जाता है दुनिया का दस्तूर निराला है यहां तो दिल का…
कोई ये कैसे बताये, कि गम क्या है इश्क में इन्सा को होश कहां है!
क्या छुपा के घूमते है लोग, पता नहीं, किसी के ख्वाब, या ख्वाहिशें खबर नहीं, कुछ लम्हे दबा रखे है अपनी हथेली में या फिर…
खालिस बेमेल है जिंदगी मेरी निखरे हुए है जज्बात मेरे लफ़्ज मेरे एकदम मासूम है मगर फिर भी धोखे देती रहती है जिंदगी
कैसे लिखें इस कागज पर जब जिंदगी खाली खाली सी है स्याही है ही नहीं शब्दों को उतारने के लिए
लफ़्जों को खोल दो अपने अरमानों को इनमें भर जाने दो दो जगह अपने दिल में मुझे इनमें मुझे अपना घर बनाने दो
लफ़्जों को तो हम ढूढ कर ले आये हम अब पराये जज्बातों को कैसे बुलाये हम
जो हो गयी है बंजर जमीन, जमाने कि दिल की तू कुछ अश्क बहाकर इसे नम कर दे|| हो गया हो अगर सूना तेरे मन…
चेहरे का रंग तो हर कोई देखता है दिल का रंग भी तो कोई देखे जो खुमार छाया हुआ है आंखो में आंखों में खोये…
तेरी आवाज है जो हरदम सुनाई देती है इक तेरा ही तो अक्स है जो हर जगह दिखता है मुझे कहां मैं तुझे मिल पाऊंगी…
गर फासले बढते है तो बढ जायें यूं करीब रहकर भी हम करीब थे कभी??
कभी कभी ये ख्याल आता है कि कभी उनका ख्याल ना आये तो दिल को राहत मिले| मिलते रहते है हमें अपना कहने वाले कई…
किसी ने कल रात दस्तक दी दिल के दरवाजे पर मगर दरवाजा खोला तो वहां कोई न था|
क्या कहे जो अब तक न कहा क्या सुने जो इन कानों से अब तक न सुना क्या बात होती गर बिना कहे बिना सुने…
इक बात जो कभी कही न गयी इक बात जो कभी सुनी न गयी इक बात जो कभी हुई भी नहीं बो बात में अब…
सब लफ़्जो का खेल है इस दुनिया में ये ही रिश्ते बनाते भी है बिगाड़ते भी यही है
चाहतों की दुनिया से अब उकता गये है सब दिखता है यहां, मगर कुछ मिलता नहीं
हमारे जीवन की कविता कहानी सी हो गयी है चली जा रही है, बिना किसी लय के, बिना किसी तुक के
सितम पे सितम तुम ढाते रहे अफ़साने मगर महोब्बत के बनते रहे लफ़्जों में कहां बयां होती है कहानी मेरी कर सको गर महसूस तो…
लड़ती रही जिंदगी से खुशियों के लिए झगड़ती रही खुद से अपनों के लिए उम्मीद थी इक सच्चे प्यार की इस झूठी दुनिया में आंखे…
One day I’ll run away To a place, Where nobody can find me, even me. Away from nostalgia, aroma of affection and, water of eyes. A…
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