इंतजार

लहरें होकर अपने सागर से आज़ाद तेज़ दौड़ती हुई समुद्र तट को आती हैं , नहीं देखती जब सागर को पीछे आता तो घबरा कर…

ताबीर

महज़ ख़्वाब देखने से उसकी ताबीर नहीं होती ज़िन्दगी हादसों की मोहताज़ हुआ करती है .. बहुत कुछ दे कर, एक झटके में छीन लेती…

अजूबी बचपन

आज दिल फिर बच्चा होना चाहता है बचपन की अजूबी कहानियों में खोना चाहता है जीनी जो अलादिन की हर ख्वाहिश मिनटों में पूरी कर…

आज की नारी

मैं आज की नारी हूँ न अबला न बेचारी हूँ कोई विशिष्ठ स्थान न मिले चलता है फिर भी आत्म सम्मान बना रहा ये कामना…

शूरवीर

आज फिर गूँज उठा कश्मीर सुन कर ये खबर दिल सहम गया और घबरा कर हाथ रिमोट पर गया खबर ऐसी थी की दिल गया…

मलाल

मुझे ताउम्र ये मलाल रहेगा तुम क्यों आये थे मेरी ज़िन्दगी में ये सवाल रहेगा जो सबक सिखा गए तुम वो बहुत गहरा है चलो…

मेरे दर्द

मेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं इन्हें अपनी आँखों का पता क्यों दूँ तरसे और बरसे इन्हें अपने दर्दों से वो लगाव क्यों दूँ मेरा अंधापन…

एक ऐसी ईद

एक ऐसी ईद भी आई एक ऐसी नवरात गई जब न मंदिरों में घंटे बजे न मस्जिदों में चहल कदमी हुई बाँध रखा था हमने…

रुख्सत

ये जो लोग मेरी मौत पर आज चर्चा फरमा रहे हैं ऊपर से अफ़सोस जदा हैं पर अन्दर से सिर्फ एक रस्म निभा रहे हैं…

ताज महल

नाकाम मोहब्बत की निशानी ताज महल ज़रूरी है जो लोगो को ये बतलाये के मोहब्बत का कीमती होना नहीं बल्कि दिलों का वाबस्ता होना ज़रूरी…

प्रेम

प्रेम, जिसमें मैं ही मैं हो हम न हो डूब गए हो इतने के उबरने का साहस न हो वो प्रेम नहीं एक आदत है…

मेरे शिव

ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठी सबने कहा , क्या मिलेगा मुझे उस योगी के संग जिसका कोई आवास नहीं वो…

आख़िरी इच्छा

कभी कभी सोचती हूँ अगर इस पल मेरी साँसें थम जाये और इश्वर मुझसे ये कहने आये मांगो जो माँगना हो कोई एक अधूरी इच्छा…

हाय रे चीन

हिंदी कविता व्यंग्य शीर्षक-: हाय रे चीन (कोरोना और चाइना ) हाय रे चीन चैन लिया तूने सबका छीन कुछ भी न बचा तुझसे ऐसा…

कोरोना वायरस

धर्म-जाति से परे हिंदी कविता एक भयावह महामारी पर  लिखना नहीं चाहती थी  पर लिखना पड़ा  कहना नहीं चाहती थी  पर कहना पढ़ा  आज कल…

ख्वाहिशें

ख्वाहिशें सुख गई हैं ऐसे मौसम के बदलते मिजाज़ से फसलें जैसे क्या बोया और क्या पाया सपनों और हक़ीकत में कोई वास्ता न हो…

भरोसा

आज की सच्ची घटना पर आधारित हिंदी कविता शीर्षक :- भरोसा आज मेरी क्यारी में बैठा परिंदा मुझे देख छुप गया मैं रोज़ उसको दाना…

हाँ

तुम उस दिन जो हाँ कर देते तो किसी को नया जीवन देते पर तुम्हारी ज्यादा सतर्क रहने की आदत ने देखो किसी का मनोबल…

थोड़ी सी नमी

तूफानों को आने दो मज़बूत दरख्तों की औकात पता चल जाती है पेड़ जितना बड़ा और पुराना हो उसके गिरने की आवाज़ दूर तलक़ आती…

इस बार

सोचती हूँ, क्या इस बार तुम्हारे आने पर पहले सा आलिंगन कर पाऊँगी या तुम्हें इतने दिनों बाद देख ख़ुशी से झूम जाउंगी चेहरे पे…

क्यों

क्यों एक बेटी की विदाई तक ही एक पिता उसका जवाबदार है ? क्यों किस्मत के सहारे छोड़ कर उसको कोई न ज़िम्मेदार है? क्यों…

सच

कितना सरल है, सच को स्वीकार कर जीवन में विलय कर लेना संकोच ,कुंठा और अवसाद को खुद से दूर कर लेना जिनके लिए तुम…

शिवांशी

मैं शिवांशी , जल की धार बन शांत , निश्चल और धवल सी शिव जटाओं से बह चली हूँ अपने मार्ग खुद ढूँढती और बनाती…

करम

मेरे महबूब का करम मुझ पर जिसने मुझे, मुझसे मिलवाया है नहीं तो, भटकता रहता उम्र भर यूं ही मुझे उनके सिवा कुछ भी न…

दोस्ती

चलो थोडा दिल हल्का करें कुछ गलतियां माफ़ कर आगे बढें बरसों लग गए यहाँ तक आने में इस रिश्ते को यूं ही न ज़ाया…

छल

छल और प्यार में से क्या चुनूँ जो बीत गया उसे साथ ले कर क्यों चलूँ पतंग जो कट गई डोर से वो खुद ही…

वख्त

वख्त जो नहीं दिया किसी ने उसे छीनना कैसा उसे मांगना कैसा छिनोगे तो सिर्फ २ दिन का ही सुख पाओगे और मांगोगे तो लाचार…

बारिश

बारिश से कहो यूं न आया करे मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगता तूने आने से पहले दस्तक तो दी थी सर्द मौसम…

ख़त

मैंने उन्हें एक ख़त भिजवाया है एक लिफाफे में उसे रखवाया है देखने में कोरा न लगे,इसलिए उस लिफाफे को खूब सजाया है जो पहुचेगा…

“लाडली”

मैं बेटी हूँ नसीबवालो के घर जनम पाती हूँ कहीं “लाडली” तो कहीं उदासी का सबब बन जाती हूँ नाज़ुक से कंधो पे होता है…

“पिता “

लोग कहते हैं , मैं अपने पापा जैसे दिखती हूँ, एक बेटे सा भरोसा था उनको मुझपर मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूँ। मैं रूठ…

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