सच
कितना सरल है, सच को स्वीकार कर
जीवन में विलय कर लेना
संकोच ,कुंठा और अवसाद
को खुद से दूर कर लेना
जिनके लिए तुम अपने हो
वो हर हाल में तुम्हारे ही रहेंगे,
कह दोगे जो हर बात दिल की
तो उनसे रिश्ते और गहरे ही जुड़ेंगे
कितना सरल है , औरों की सोच का प्रभाव
खुद पर न पड़ने देना
और सच कह कर अपना रिश्ता मज़बूत कर लेना
यूं जब तुम खुद से मिलते हो
तो ही सच स्वीकार करते हो
जब अपनेपन से खुद से बात करते हो
हवा में उड़ते पत्ते सा हल्का महसूस करते हो
कितना सरल है , कटु सत्य स्वीकार कर
अपना सम्मान क्षीण न होने देना
और सच कह कर आत्मग्लानि से खुद को दूर कर लेना
किसी ने सच ही कहा है , कोई सच न छुपा सका है
स्वीकार कर इसे खुद भी सरल हो जाओगे
यूं कब तक सच का सामना करने से घबराओगे
औरों से नज़रें मिला तो लोगे, पर खुद से नज़रें न मिला पाओगे
कितना सरल है, लोक लाज,मर्यादा और दिखावे से
खुद को आजाद कर लेना
और सच स्वीकार कर जीवन में विलय कर लेना
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
Nice
True lines
Very good
Sunder
Nice