तिरंगा महान
ना होली-दिवाली ना ईद रमजान। एक ही जश्न हिफाजत-ए-हिंदुस्तान। गर हो जाऊं शहीद सरहद पे ‘देव’, पहना देना बतौर कफन तिरंगा-महान। गणतंत्र दिवस की हार्दिक…
ना होली-दिवाली ना ईद रमजान। एक ही जश्न हिफाजत-ए-हिंदुस्तान। गर हो जाऊं शहीद सरहद पे ‘देव’, पहना देना बतौर कफन तिरंगा-महान। गणतंत्र दिवस की हार्दिक…
तेरे कांधे पे सर रख, रोना चाहता हूं मां। तेरी गोद में सर रख, सोना चाहता हूं मां। तू लोरी गाकर, थपकी देकर सुला दे…
कतरा बन गिरो, पत्ते पर ओंस की भांति। कतरा बन गिरो, शीतल बारिश की भांति। कतरा बन गिरो, सीप में मोती की भांति। कतरा बन…
शब्दों से खेलना हुनर है मेरा, जज़्बातों से खेलना, हमें आता नहीं। कलम हथियार है मेरा, बाज़ुओं की ताक़त, मैं दिखाता नहीं। नर्म दिल हूं,…
देखा है दुनिया को रंग बदलते। मुंह में राम बगल में छुरा लिए चलते। गैरों को मतलब कहां हैं हमसे ‘देव’, यहां अपने ही अपनों…
यूं तो भारतवर्ष, कई पर्वों त्योहारों का देश है। भिन्न बोली-भाषाएं, खान-पान, भिन्न परिवेश है। आओ मैं भारत दर्शन कराता हूं। महत्त्व मकर संक्रांति की…
जीवन न्यौछावर कर दो हेतु परमार्थ। प्रतिफल की अभिलाषा बिना निःस्वार्थ। ईश्वर स्वयं बन जाएंगे जीवन सारथी, और बना लेंगे अपना सखा पार्थ। देवेश साखरे…
तेरे बाहों के हार में, सब कुछ हार जाऊं। तुझ पर अपना दिलो – जां मैं वार जाऊं। तुझ से हार कर भी जीत है…
अपनी आकांक्षाओं को, मैं पर देना चाहता हूं। खुले आसमान को, मुट्ठी में कर लेना चाहता हूं। कल्पनाओं को आकार देना इतना भी मुश्किल नहीं,…
हुनर किसी ज़रिए का मोहताज नहीं होता । कल उन्हीं का है, जो कुछ आज नहीं होता । गिरने से डरता क्यों है, पहले उड़ान…
किस असमंजस में पड़ा इंसान। किस दोराहे पे खड़ा इंसान ।। दौलत के रिश्ते हैं, रिश्तों की यही अहमियत है । वक्त के साथ अपने,…
दिल की कलम से ये पैगाम लिखता हूं। तुम्हारे हिस्से खुशियां तमाम लिखता हूं। खुशियों से रोशन हो हर राह तुम्हारा, नये साल का नया…
उम्मीदों की नई सुबह नववर्ष की। सुख – समृद्धि और उत्कर्ष की ।। आगे बढ़ते हैं, कड़वे पल भुला कर। छोड़ वो यादें, जो चली…
एक दिन गया मैं चिड़ियाघर, एक भी जानवर न था वहां पर । यह देख मैं रह गया हैरान, हर पिंजरे में था एक इंसान…
तारीफ तेरी, नहीं मेरी जुबां करती है । नजरें पढ़ ले, हाले-दिल बयां करती है ।। इश्क में हूँ तेरे आज भी, जहां जानता है,…
पसीना सूखता नहीं धूप में। किसान होता नहीं सुख में।। अतिवृष्टि हो या फिर अनावृष्टि। प्रकृति की हो कैसी भी दृष्टि। किसानों के परिश्रम के…
आजादी के इतने वर्षों बाद भी, आजादी को हम जूझ रहे आज भी ।। कभी नक्सलियों, आतंकियों से आजादी, कभी रिश्वतखोरों, भ्रष्टाचारियों से आजादी ।…
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.