पालघर

ये बेबस सी दिखती है जो, ये उस निर्दोष की पत्नी है, जिसे संतों के संग कत्ल किया, ये उस खामोश की पत्नी है ।…

बेटी

मैं भी तो नन्ही कली हूँ, तेरे अंदर ही पली हूँ तू ही तो ज़रिया है माँ, मैं तेरे कदमों से चली हूँ बस मुझे…

ऐतबार

वो कफन था जो दामन-ए-यार बना फिरता था, मेरा वहम मेरे अंदर ऐतबार बना फिरता था.. कुछ दिखा नही ज़माने में सिवाए मतलब के, एक…

मजदूर

वो आसां ज़िंदगी से जाके इतनी दूर बनता है, कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है । वो जब हालात के पाटों में पिसकर…

चूड़ी की खनक

मैं जब कभी कहीं मायूसियों में घिरता हूँ, तेरी उम्मीद मेरा हाथ थाम लेती है.. तेरी मौजूदगी का इल्म इसलिए है मुझे, तेरी चूड़ी की…

हिंदुत्व

साधु नही आधार स्तंभ थे जो हिंसा की बलि चढ़े, हिन्दू धर्म की लाज ये कैसी निर्ममता स्थली चढ़े । है कैसा इंसाफ कि जिसने…

रक्षाबंधन

कुछ इस तरह रिश्ते का मान रह जाए, तेरी राखी में बंधके मेरी आन रह जाए.. तेरे बाँधे हुए धागे की गाँठ जो छूटे, मुद्दत्तों…

New Report

Close