सिला दिया उसने
मेरी वफाओं का खुलकर सिला दिया उसने, न रखा एक भी, हर खत जला दिया उसने.. ‘दूर होने का फैसला क्या खुद तुम्हारा है ?’…
मेरी वफाओं का खुलकर सिला दिया उसने, न रखा एक भी, हर खत जला दिया उसने.. ‘दूर होने का फैसला क्या खुद तुम्हारा है ?’…
“जंग ये खत्म हो लाखों की दुआ कहती है.. ज़िन्दगी खुद इसे साँसों की जुआ कहती है । सब तो देखा है सिसकती हुई इन…
जब भी कोई उम्मीद कभी, मेरे सर पर हाथ फिराती है .. माँ तेरी बहुत याद आती है.. माँ तेरी बहुत याद आती है.. कोई…
“इसी तरह से हे महासत्य मेरा साथ तुम देना, इसी मिट्टी का हो जाने का वर हे नाथ तुम देना । जगत के दृश्य में…
ये बेबस सी दिखती है जो, ये उस निर्दोष की पत्नी है, जिसे संतों के संग कत्ल किया, ये उस खामोश की पत्नी है ।…
मत निकाल अपने दिल से मुझे, मैं तो वक्त हूँ, गुज़र जाऊँगा इस भरे शहर में कोई आशना नही, ये जगह भी गई तो किधर…
‘तुमसे तो चंद कदम तय भी हो सके ना कभी, मैंने मीलों का सफर चलके ही गुज़ारा है.. कम से कम तुम पर किसी कत्ल…
गम-ए-हयात की खातिर या किसी बात की खातिर, हम तो खामोश रहे इक नई शुरुआत की खातिर.. कुछ रहे पास, खुदा से ये भी बर्दाश्त…
मैं भी तो नन्ही कली हूँ, तेरे अंदर ही पली हूँ तू ही तो ज़रिया है माँ, मैं तेरे कदमों से चली हूँ बस मुझे…
वो कफन था जो दामन-ए-यार बना फिरता था, मेरा वहम मेरे अंदर ऐतबार बना फिरता था.. कुछ दिखा नही ज़माने में सिवाए मतलब के, एक…
वो आसां ज़िंदगी से जाके इतनी दूर बनता है, कई मजबूरियाँ मिलती हैं तब मजदूर बनता है । वो जब हालात के पाटों में पिसकर…
बेगुनाही में अपने पास रख असर इतना, आसमाँ खुद कहे कि हाँ ये सही है बंदा..
मैं जब कभी कहीं मायूसियों में घिरता हूँ, तेरी उम्मीद मेरा हाथ थाम लेती है.. तेरी मौजूदगी का इल्म इसलिए है मुझे, तेरी चूड़ी की…
‘कुछ मुझमे सीरत है तेरी, कुछ तुझमे अब है असर मेरा.. तू रह गुज़र सी है मुझमे, सब तुझसे ही है बसर मेरा.. कभी सफर…
झुकने नही देंगे देश का सर, बस धुन ये रमाकर बैठे हैं माथे पर सादा तिलक नही, हिंदुत्व लगाकर बैठे हैं..
साधु नही आधार स्तंभ थे जो हिंसा की बलि चढ़े, हिन्दू धर्म की लाज ये कैसी निर्ममता स्थली चढ़े । है कैसा इंसाफ कि जिसने…
लगाकर सीने से फिरता हूँ मैं तस्वीर तेरी, ये वो वजह है जिससे दिल मेरा धड़कता है.. ‘प्रयाग धर्मानी’
कुछ इस तरह रिश्ते का मान रह जाए, तेरी राखी में बंधके मेरी आन रह जाए.. तेरे बाँधे हुए धागे की गाँठ जो छूटे, मुद्दत्तों…
राम हैं दयाल जग मैं, राम ही कृपाल हैं राम ही कवच हैं मेरे, राम मेरी ढाल हैं.. जिसका एक बाण सागरों को भी सुखा…
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