उन्वान

‘उन्वान-ए-किताब-ए-ज़िन्दगी था रखा कुछ और, लिखा कुछ और, छपा कुछ और, दिखा कुछ और, पढ़ा कुछ और..’ – प्रयाग मायने : उन्वान ए किताब ए…

उफान-ए-समंदर

‘कैसे रोकेगा मेरे इरादों को ये उफान-ए-समंदर, आतिश को दबाए रखा है आगज़नी के लिए..’ – प्रयाग मायने : उफान-ए-समंदर – समुद्र का उफान आतिश…

मुकम्मल

‘जा चुका होता मैं कब का इस जहाँ से, किसी से किये वादे, गर अधूरे नही होते.. वो किया करते हैं औरों के ख्वाब मुकम्मल,…

कुव्वत-ए-दुआ

‘निकलती है नेक मकसद को, मुकम्मल वो दुआ होती है, नही होती दुआ अकेली कभी, साथ क़ुव्वते-दुआ होती है..’ – प्रयाग मायने : मुकम्मल –…

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