वतन के वास्ते

“इसी तरह से हे महासत्य मेरा साथ तुम देना,
इसी मिट्टी का हो जाने का वर हे नाथ तुम देना ।

जगत के दृश्य में कर्ता भले कोई भी हो लेकिन,
मेरे काँधे, मेरे सर पर सदा ही हाथ तुम देना ।

तुम ही दृष्टा, तुम ही श्रोता तुम ही तो भक्तवत्सल हो,
अगर आ जाऊँ मैं चलके कभी शरणार्थ, तुम देना ।

मेरी हर साँस लिख दी है वतन के वास्ते मैंने,
मेेरे इस देश की खातिर ही मेरा साथ तुम देना ।”

#15अगस्त

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