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बादल जीवन फिर लाए तो
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मधुर मंद -मंद बयार चली,
नजरों में भर कर प्यार चली। धरती के सूखे बालों को सहलाती, चिंतित सी नार चली ।
पीछे पीछे मस्ताना सा,
बादल आया दीवाना सा,
मुख देख धरा का ठिठका वो, चिंतित हो अश्रु भर लाया ।
बादल ने पूछा देवी तुम!
एकटक शून्य सी आंखों से,
यूं किसे निहारा करती हो?
जर्जर कपती सी काया से,
क्या मुझे पुकारा करती हो! धरती कुछ भी ना बोल सकी टकटकी लगाए बैठी रही।
दुख देख अजब आघात लगा बादल जार -जार रोता गया पश्चाताप के आंसू बहे सीप में गिर गिर मोती बने ।
धरती अश्रुओं से भीग उठी,
बादल को उसने माफ किया हृदय को अपने साफ किया ।सावन का फिर आगाज हुआ फिर हरी हुई नवयुवती सी,
वनदेवी ने आशीर्वाद दिया।
पेड़ों ने सामूहिक नृत्य किया, कोयल नेकुहू संगीत दिया ।
खेतों में फसलें झूम उठी, पक्षियों ने मधुर कलरव किया।
रे बादल !देर लगाई बड़ी टकटकी लगी थी हर एक घड़ी,
चलो देर सही पर आए तो जीवन फिर से तुम लाए तो,जीवन फिर से तुम लाए तो।

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