Kitni pyari hai ye dharti

कितनी प्यारी है ये धरती,
ऊपर अंबर ये नीले नीले,
नीचे हरियाली ये धरती,
ऊपर सूरज चंदा ये तारे,
नीचे जीव जंतु ये सारे,
ऊंचे पहाड़ ये प्यारे-प्यारे,
नीचे नदियां खाई ये गहरे,
ऊपर बादल ये काले काले,
नीचे ठंढे झील ये झडने,
इतने सुंदर ये बाग बगीचे,
छोटे बच्चे ये प्यारे प्यारे,
प्यारी प्यारी यै ठंढी हवाएं,
प्यारे- प्यारे ये बारिश के झोंके |

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

दायरे

दायरे ____ **** दायरे थे ही नहीं मानव की लालसा के! हर तरफ फैलाव था पैर पसारे। जीव सीमट रहे थे दायरो में…. लुप्त और…

Responses

+

New Report

Close