Praveen Nigam
चल मिटा ले फासले
June 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
तेरी खामोसियाँ, खंचर सी है चुभने लगी,
दूरियाँ हर एक चुप्पी पर तेरे, बढ़ने लगी,
एक आवाज देकर, रोक ले मुझे,
ऐसा ना हो कि दूर हो जाऊँ, पहुँच से तेरे,
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले |