कातिल

October 11, 2021 in शेर-ओ-शायरी

जिंदगी जिस राह पर चल रही है,
उसकी कोई मंजिल नहीं है,
कश्ती साहिल पे थी सही,
मजधार में डूब रही है,
कत्ल हुआ है सर-ए-आम,
पर तू मेरा कातिल नहीं है।

कातिल

October 11, 2021 in शेर-ओ-शायरी

जिंदगी जिस राह पर चल रही है,
उसकी कोई मंजिल नहीं है,
कश्ती साहिल पे थी सही,
मजधार में डूब रही है,
कत्ल हुआ है सर-ए-आम,
पर तू मेरा कातिल नहीं है।

आत्मा

October 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं कौन हूँ, मेरा अस्तित्व क्या ?

आशाकिरण हूँ, जलता दीया,
गतिहीन हूँ, पर अचल नहीं,
निर्भय ना सही, भयभीत नहीं।

गुणवान नहीं, निर्गुण भी नहीं,
तेजस ना सही, शीतल भी नहीं,
आकारहीन, निराकार नहीं,
मैं आत्मा हूँ, परमात्मा नहीं।

आत्मा

October 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं कौन हूँ, मेरा अस्तित्व क्या ?

आशाकिरण हूँ, जलता दीया,
गतिहीन हूँ, पर अचल नहीं,
निर्भय ना सही, भयभीत नहीं।

गुणवान नहीं, निर्गुण भी नहीं,
तेजस ना सही, शीतल भी नहीं,
आकारहीन, निराकार नहीं,
मैं आत्मा हूँ, परमात्मा नहीं।

New Report

Close