तेरी सुबह बङी निराली है

August 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी सुबह बङी निराली है..

तेरी शाम मधुर सुहानी हैं..

एे जानो जिगर से प्यारे वतन..

तेरे वैभव की अमर कहानी हैं

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्

है चरण पखावत सिंधु तेरे

मस्तक पर सजा हिमाला हैं

है पुरब लालिमा सूरज की

और पश्चिम उदय उजाला हैं

है हरी वसुन्धरा सुख दायी..

तेरे वीरों की अमर कहानी हैं

ऐ जानो जिगर से प्यारे वतन

तेरे वैभव की अमर कहानी हैं

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्

है बाईबिल  गीता  गुरूबाणी

और पाक बखान कुराण  हैं

है गीत  ग्यान की  गंगा  बहे

और ध्यान में वेद औ पुराण है

है सिख मुसलमांन बुद्ध यहां

हर हिन्दु की अमर जवानी हैं

ऐ जानो जिगर से प्यारे वतन

तेरे वैभव की अमर कहानी हैं

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्

सब जान न्यौछावर करते  हैं

तेरे सन्मान में  तत्पर रहते हैं

हर भाषा भाषी मिल कर के

तेरी महिमा  मंगल गाते  हैं

तेरे मन्दिर मस्जिद गिरजे हैं

और गली गली में अजान हैं

ऐ जानो जिगर से प्यारे वतन

तेरे वैभव की अमर कहानी हैं

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्

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नन्द सारस्वत बैंगलुरू

8880602860

जीवन चक्र

August 2, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर सुबह उठकर भागता हूं,

मैं सब के लिए सुख कमाने,

हर शाम घर लौट आता हूं,

मैं सबका हिसाब चुकाने,

बिता दिये हैं अनगिनत दिन

मैंने और बे-हिसाब ये रातें

मगर मुक्त नहीं हुआ अभी

सबका कर्ज चुकाते चुकाते

फर्ज का कर्ज मेरा मुझको

चुकाना ही होगा, अलबता

गम को भुला देता हूं हंसकर

मैं जिम्मेदारि निभाते निभाते

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