प्रकृति में

June 20, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

देख झंझावातों से परे पुनः
भौर सुहानी आएगी
ये स्वप्न नहीं हकीकत है
प्रकृति में फिर रवानी आएगी

किताबे

June 20, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

किताबे तो बड़ी होती गयी सारी
वज़न बढ़ता गया उनका
मेरा बस्ता पुराना हो रहा था , फट रहा था
ना जाने कहा गिर पड़ा टुकड़ा वो मेरा आसमां का ..

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