Rita arora jai hind

यूँ सुबह का होना ।
यूँ बादलों का गरजना ।।
यूँ बिजली का कड़कना ।
यूँ तूफानों का आ जाना ।।
यूँ दरिया का बहते जाना ।
यूँ पतझड़ का आ जाना ।।
यूँ चांद का उदित होना ।
यूँ साँझ का धीरे – धीरे ढलना ।।
सब प्रक्रति का नियम है ।
मनुष्य इसे नहीं बदल सकता ।।
राधे – राधे
?? रीता जयहिंद ??

Related Articles

Rita arora jai hind

वसंत ऋतु पर मेरी ये कविता ?? रीता जयहिंद ?? आया वसंत देखो आया वसंत । खुशियों की सौगात लाया वसंत ।। पेड़ पौधे पशु…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Rita arora jai hind

रीता जयहिंद ?? 9717281210 प्रार्थना – ????? हे भगवन् भाव ह्रदय में छुपाकर श्रद्धा के कुछ सुमन चढ़ा कर आँख से अश्रुओं को रोककर द्वार…

Responses

+

New Report

Close