Rita arora jai hind

यूँ सुबह का होना ।
यूँ बादलों का गरजना ।।
यूँ बिजली का कड़कना ।
यूँ तूफानों का आ जाना ।।
यूँ दरिया का बहते जाना ।
यूँ पतझड़ का आ जाना ।।
यूँ चांद का उदित होना ।
यूँ साँझ का धीरे – धीरे ढलना ।।
सब प्रक्रति का नियम है ।
मनुष्य इसे नहीं बदल सकता ।।
राधे – राधे
?? रीता जयहिंद ??

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