ज़िन्दगी
बहुत खूब मैंने देखा जमाना एक शाम और एक सुबह सुहाना उजली सी ज़िन्दगी पे पाये कितने रंग मैने । एक साथ होने का एक…
बहुत खूब मैंने देखा जमाना एक शाम और एक सुबह सुहाना उजली सी ज़िन्दगी पे पाये कितने रंग मैने । एक साथ होने का एक…
ज़िन्दगी ना कर पाई फ़ैसला मैँ शराब का नशा छोड़ दूँ या तेरी जुस्तजू की उम्मीद एक ने मुझे जीने ना दिया दूसरे ने मुझे…
जिन्दगी जब मेरी खामोशियों में होती है! शाँम-ए-गुजर मेरी मदहोशियों में होती है! आजमाइशों में दिन गुजर जाता है मगऱ, रात तन्हाँ दर्द की सरगोशियों…
दफनाते हुए मेरी कबर के अन्दर आईना एक उलटा लटका देना सूरत जो ज़िन्दगी भर देखी उसमें सकू्न वह मौत में भी दिला जाएगी …
. ღღ__ख़ानाबदोश-सी ज़िन्दगी ही, लिखी है नसीब में “साहब”; . कुछ लोगों का इस जहाँ में, अपना ठिकाना नहीं होता!!…..#अक्स .
प्यार वोह जो ज़िन्दगी दिखलाई तूने, प्यार है वो ज़िन्दगी जो जिवाई तूने …… यूई
बेइंतेहा दर्दो को सहने की, अश्कों को पीने की सांसो की घुटन में रहने की, गमों में जीने की आदतें सारी यह किस किस की…
ज़िन्दगी ने रूह को लुटा है जबसे रूह-ए-ज़िन्दगी हम भरते है तबसे ……. यूई
अंदाज़-ए-ज़िन्दगी दम भरते हैं हमसे खौफ-ए-ज़िन्दगी ना मिलते हैं हमसे ……. यूई
ए ज़िन्दगी जीतेंगे हम जीतेंगे इस मुश्किल को भी जीतेंगे जीतेंगे हम जीतेंगे हम हारी बाज़ी जीतेंगे जीतेंगे हम जीतेंगे भँवर से गुज़र कर…
ए ज़िन्दगी इस बाधा को पार करने में क्या हमें कठिनाई है …… यूई
ए ज़िन्दगी सभी बाधाओं को तोड़, चाहतें तेरी हमने कमाई हैं …… यूई
ए ज़िन्दगी यह छोटी सी रुकावटे तुम्हें हमसे ना ज़ुदा कर पायेंगी …… यूई
ए ज़िन्दगी हौसलों की परवाज़ो से हर मुश्किल छोटी कर पाई है …… यूई
ए ज़िन्दगी लाखों अवरोधों से लड़ हमने तेरी नैया पार लगायी है …… यूई
ए ज़िन्दगी मुश्किल राहों को सर करने की अपनी पुरानी रवाई है …… यूई
ए ज़िन्दगी कितने व्यवधानों में डाल तूने हमारी वफ़ा आज़्मायी है …… यूई
ए ज़िन्दगी सब भँवरो और तूफानों से, तुझे बचाने की इच्छाई है …… यूई
ए ज़िन्दगी तू इक दिन तो जानेगी, हम तेरे कितने शौदायी हैं …… यूई
ए ज़िन्दगी आसान ना थी कभी तेरी राहें पर हमने वफ़ा निभायी है …
ए ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी तुझे हर हाल में चाहने की कसम हमने खाई है …… यूई
मेरी जिन्दगी तुम्हारी आहट खोज लेती है! कोई कली जिसतरह मुस्कुराहट खोज लेती है! हरतरफ होती हैं दीवारें सन्नाटों की मगर, मयकदों को जाम की…
ए ज़िन्दगी कैसे शिकायत करूँ तुझसे खुदा की बंदगी पाई तुझसे बस तुझमें सिमटा रह्ता हूँ हर पल तेरे ही संग रहता हूँ …
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी इस ज़िन्दगी के बाद भी यूई के बुलंद हौंसलों पे दुश्मन भी इतराते हैं
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी इस ज़िन्दगी के बाद भी सामने मेरे आने से अब तूफान भी घभराते हैं
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी इस ज़िन्दगी के बाद भी लिया है सीख रुख पलट बाधाओं के हर हाल में जीना हमने
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी इस ज़िन्दगी के बाद भी लिया है सीख अवरोधों को सर करना हमनें
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी आस्मानी अरमानो के ना थे पंख हमारे, जैसे तुम्हारे
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी आँखों में ना थे सपने रंगीन हमारे, जैसे तुम्हारे
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी बाज़ूओं को ना था कोई सहांरा, जैसा तुम्हारा
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी बचपन ना था बचपन हमारा, जैसा तुम्हारा
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी मजबूरियाँ थी अजब सबकी हमारी, ना जैसी तुम्हारी
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी दीवारें थी कच्ची कमजोर हमारी, ना जैसी तुम्हारी
ज़िन्दगी ना थी कुछ हमारी, जैसी तुम्हारी पक्की छत ना थी सर पे हमारी, जैसी तुम्हारी
ღღ__ज़िन्दगी भी कुछ ऐसे ख्याल में गुजरी; जैसे शब्-ए-फुरकत किसी मलाल में गुजरी !! . जिसमें इश्क़, हो जाता है बे-वजह; वो उम्र तो बस,…
चुनौती ज़िन्दगी का, कहता हैं, हूँ मैं हर मोड पर, लेकिन हम भी कुछ कम नहीं, इन्हीं चुनौतियों के सात जीना सीख लिया हैं, की…
लड़कपन की बात ही कुछ और थी, तब तो मेरी भी आँखों में सपने सुहाने थे ! हाथों में हाथ डाल कर, सीखेगी दुनिया हमसे…
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