*अच्छा हो अगर कर दो*
सुगंधि सी है मौसम में,
सितार से बज रहे हैं
महक मौसम को मधुर,
अच्छा हो अगर कर दो
गीत गाता है कोई प्रीत के अगर,
छू के अधरों से, उस गीत को
अच्छा हो अमर कर दो
बहुत ही कठिन होता है,
चुराना ज़िन्दगी से कुछ लम्हे
तुम भी कुछ लम्हे चुराओ कभी,
अच्छा हो अगर कर दो
*****✍️गीता
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद सुमन जी
सुगंधि सी है मौसम में,
सितार से बज रहे हैं
महक मौसम को मधुर,
अच्छा हो अगर कर दो
गीत गाता है कोई प्रीत के अगर,
छू के अधरों से, उस गीत को
अच्छा हो अमर कर दो..
यह कविता पढ़कर मुझे जगजीत सिंह की कुछ पंक्तियां याद आ गईं :-
होंठों से छूलो तुम मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो
सुंदर अभिव्यक्ति👏👏👏👌
Thank you
अतिसुंदर रचना
सादर आभार भाई जी 🙏