अभी बाकी है।

तेरी काया नहीं तो तेरा साया ही सही कुछ तो है जो मेरे साथ बाकी है,
कभी मेरे ख़्वाबों में तेरे अक्स का मुझे छू कर चले जाना,
तो कभी तेरे संग बीते लम्हों का गुजर जाना,
आज भी मेरी जुबां से अक्सर तेरा नाम निकल जाना बाकी है,
तुझे याद नहीं है बेशक मेरी पहचान भी तो क्या,
मेरी आँखों से निकलते अश्कों से तेरी तस्वीर का बन जाना अभी बाकी है॥
राही (अंजाना)
लाजवाब।।।।
धन्यवाद् जी
Thanks
क्या बात है
Thanks
nice one 🙂
Thanks ji
See my other poems hope ull like…
aprateem sir
Thanks
सुन्दर रचना