Categories: शेर-ओ-शायरी
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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तौबा मेरी तौबा अपने ग़रूर से अब मेरी तौबा ……. यूई
गरूर
कितना गरूर था डगर को अपने लम्बे होने पर लेकिन एक गरीब के हौसले ने उसे कदमों में नाप दिया ।
इबादत
खुद पर न कर गरूर इतना खुदा भी नाराज़ हो जाएगा इबादत है इश्क़ तो रब की की जो इबादत तो रब भी…
चश्मे
एक के ऊपर एक परत-दर-परत चढ़े होते हैं, आँखों पर तरह-तरह के चश्मे। पर, न तो नाक पर उनके वजन का अहसास होता है; न…
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