आखिर क्या समझूं ???
तुम्हारी बेरुखी को
प्यार समझूं या खता समझूं
तू ही बता ना
आखिर क्या समझूं ?
सामने आकर भी मुह फेर लेते हो
बेबसी समझूं या बेवफाई समझूं
तू ही बता ना
आखिर क्या समझूं ?
रुला देते हो तुम मुझे बार-बार
किस्मत समझूं या पनौती समझूं
तू ही बता ना
आखिर क्या समझूं ?
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Geeta kumari - November 17, 2020, 11:48 am
एक प्रेमिका के हृदय की तड़प को बयां करती हुई कवि प्रज्ञा जी की बेहद संजीदा रचना
Pragya Shukla - November 17, 2020, 5:19 pm
धन्यवाद
Suman Kumari - November 17, 2020, 3:54 pm
बेहतरीन
Pragya Shukla - November 17, 2020, 5:19 pm
धन्यवाद
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 18, 2020, 7:58 am
अतिसुंदर
vivek singhal - November 19, 2020, 10:58 am
लाजवाब जिसका कोई जवाब नहीं