आज बहुत उदास है दिल ये मेरा
आज बहुत उदास है दिल ये मेरा
जब से तुम मेरे सामने से आकर गए
लगता है कुछ छिन-सा गया है मेरा
भूला तो दिया था मैंने कब का तुझे
पर आज लगा जैसे गलत थी मैं
तुम्हारी धूप पड़ते ही क्यों
धुंधला गया जहान
सांसे क्यों थम गईं
रुक गया क्यों समा
तुम आस-पास मेरे आया ना करो
बड़ी मुश्किल से निकल पाई हूं सदमें से तेरे…
भुला
बिरहा की एक सुंदर झलक nice poem 👏👏
धन्यवाद
विरह वेदना की बहुत सुंदर रचना।
धन्यवाद
सुंदर रचना
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
शुक्रिया आपका
शुक्रिया आपका
सुन्दर प्रस्तुति
शुक्रिया आपका
विरह भावना का बहुत सुंदर चित्रण