आरज़ू

दबी जबान में चलो आज बात हो जाये , आँखों ही आँखों में अब मुलाकात हो जाये
जज्बातों में अब आबरू बची भी रहे , चलो फिर आज दिल से दिल की बात हो जाये ….

…atr

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

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