Categories: मुक्तक
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
चाहती हूँ मैं
दौङना चाहती हूँ मैं, क्या मुझे वो राहें दोगे? दुनिया को देखना चाहती हूँ मैं, क्या मुझे वो नज़रें दोगे? अपने दिन और रातों को…
शायरी संग्रह भाग 1
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हंसाकर कहीं तुम रुला तो न दोगे
हंसाकर कहीं तुम रुला तो न दोगे, कोई जख़्म फिर से नया तो न दोगे। हसीं वादियों के सपने दिखाकर, कहीं यार तुम भी दग़ा…
बहुत खूब
धन्यवाद जी
Very nice
Thank you ji
Very nice
Thanks
Beautiful lines…. श्रृंगारिक रचना
बहुत बहुत धन्यवाद औऱ आभार
वाह वाह क्या बात है
सादर धन्यवाद जी
Nice lines
Thank you ji
वाह क्या बात है, बेहतरीन
Thank you