इंतज़ार
सूरज भी ढल गया आँचल में , उठ गया घूंघट भी चाँद का
कब आओगी ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का
बरस रहे है बादल आँखों से , इंतज़ार है इंतज़ार ख़त्म होने का
कब आओगी ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का
वादा किया था एक रोज तूने , सनम तुमसे मिलूँगी
गोद में रखकर सर तेरे दिल के पार उतर जाऊंगी
तोड़ ना देना वादा मिलन का ,बाहें फैलाये बैठा हूँ
आँखों में उम्मीद की शमां जलाये बैठा हूँ
कर लो शिरकत अब तो सनम,ना लो इम्तहाँ मेरे प्यार का
अब तो आ जाओ ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का
आगोश में आकर बस जाओ तुम ,हाय सही ना जाये ये रुखसत
बिखरा दो जुल्फों की काली घटा ,पूरी कर दो जन्मों की हसरत
पलकें बिछाये बैठा हूँ राहों में ,कि कब होगा तेरा दीदार
फूट ना जाये कही आँखों के आईने करते करते तेरा इंतजार
डूब रहा हूँ मय के सागर में ,आकर थाम ले हाथ दीवाने का
अब तो आ जाओ ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का
थम जाये वक़्त ए खुदा, कहीं बीत ना जाये ये रैना
आये ना यार मेरा मुझसे मिलने ,तरसे रह जाये ये नैना
करता हूँ दुआ खुदा से तुझसे मिलने की, पर चाहकर भी ना कर पाऊं
हाय देखो तो मेरी बेबसी ,खुदा भी मैं तुझमे पाऊं
कहीं बुला ना ले खुदा मुझको ,और निकल ना जाये दम साँसों का
अब तो आ जाओ ए जाने जिगर , टूट रहा है सब्र इन्तजार का
laajbaab
Thanks..
nice
Thanxxx
wah
Thanxx
Good
सुन्दर रचना