इक लौ थी
इक लौ थी जो जलती रहती थी
करती थी रोशन अंधेरों को
इक आफ़ताब आया कहीं से
औ निगल गया उसे
छोड गया अंधेरे में दुनिया को
इक लौ थी जो जलती रहती थी
करती थी रोशन अंधेरों को
इक आफ़ताब आया कहीं से
औ निगल गया उसे
छोड गया अंधेरे में दुनिया को
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BAHUT ACHE MOHIT
thanks
deep and drastic!
thanks
nice
thanks
वाह
लाजवाब