Categories: शेर-ओ-शायरी
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आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं पाँव हमेशा जमीं पे टी’काके रखता हूँ ।।
जिंम्मेदारियों का बोझ मैं उठा’के रखता हूँ मेले में बेटे को काँधे पे बिठा’के रखता हूँ ।। आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं…
**ख्वाहिश रखता हूं**
****ख्वाहिश रखता हूं**** ना साथ की ख्वाहिश रखता हूं, ना प्यार की ख्वाहिश रखता हूं, मैं सिर्फ तुम्हारे चेहरे के दीदार की ख्वाहिश रखता हूं…
दोस्त, दुश्मन तमाम रखता हूं……
दोस्त, दुश्मन तमाम रखता हूं मैं हथेली पे जान रखता हूं। शाम तक जाम क्यूं उदास रहे मैं तो अपनी ही शाम रखता हूं। कफन…
मुफलिसी जहां की जबान
मुफलिसी जहां की बस मैं जबान रखता हूं | आज हाथ में अपने आसमान रखता हूं | गौर कर जरा बस्ती पे कभी खुदा मेरे…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
वाह
🙏
वाह
धन्यवाद
Nice
थैंक्स
👏👏