कमी है कुछ तुम में
तुम्हें देख यूँ लगा कुछ भी नहीं माहताब।
सोचता हूँ तुम हकीकत हो या फिर ख्वाब ।
किया इजहारे-मोहब्बत, कल पे टाल दिया,
सारी रात आँखों में कटी, पाने को जवाब ।
कहते हैं तुमसे दोस्ती है, मोहब्बत तो नहीं,
मुझे पाने के कैसे सजा डाले तुमने ख्वाब ।
कर दिया इनकार ‘देव’ कमी है कुछ तुम में,
सोचा भी कैसे इकरारे-मोहब्बत तुमने जनाब ।
देवेश साखरे ‘देव’
बहुत खूव
धन्यवाद
वाह
धन्यवाद
Nice
Thanks
Wah
शुक्रिया
Wah
Thanks
उम्म्दा
शुक्रिया