कहो ड्रैगन ! क्या समझे थे
कहो ड्रैगन ! क्या समझे थे
क्या अब भी बासठ का सन है ,
या ताकत में भारत तुझसे
किसी मामले में भी कम है।
तभी पीठ पर छुरा घौंपने
आया था गलवान में,
दिखा दिया भारत ने तुझको
कितना हूँ बलवान मैं।
धो डाला मुक्का – मुक्की में
तेरे कई जवानों को,
तूने संख्या नहीं बताई
छुपा रहा उन बातों को।
पाकिस्तान, नेपाल आदि के
कंधे पर बन्दुक न रख
नीति बदल ले, अपने में रह
हिन्द देश पर नजर न रख।
किसी बात में भारत तुझसे
आज नहीं है कम सुन ले
तेरी हर तिकड़मबाजी का
उत्तर देगा यह सुन ले।
———— Dr. सतीश पांडेय
वाह वाह क्या बात है!!!!
बीच गलवान हमारे वीरों ने चीन को पीड़ दिया।
पाण्डेयजी ने तो चीन को चीर दिया।
शास्त्री जी, उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार,
वाह, आपकी कविता ने चीन को आइना दिखा दिया
Thank you
चीन और भारत की गलवान घाटी की घटना का साक्षात चित्रण….बहुत सुंदर
सादर धन्यवाद जी
वाह क्या बात है