कालचक्र
समय कभी ना ठहरा था ना ठहरा है ना ठहरेगा।
वह तो कालचक्र का पहिया है,
दिन-रात धुरी पर घूमेगा।
समय के साथ चलकर ही इंसान उन्नति पाता है।
जो समय के साथ नहीं चलता,
वह बाद में फिर पछताता है।
समय बड़ा बलवान हर घाव को भरता जाता है।
परिवर्तन ही सृष्टि का नियम,
उससे आगे ना कोई जाता है।
निमिषा सिंघल
Nice
Thank you
Nice
Thank you
Nice
Thanks
लाजवाब
आभार दिल से
वाह
Wah
सही है