काव्य

अश्क आँखों से बहता हो
लबों पर मुस्कुराहट हो।
दया से दिल लबालब हो
मन में प्रेम की आहट हो।।
निकलकर भाव जो आये
वही तो काव्य है प्यारे।।
लगे प्रेमालाप में पक्षी
परम आनन्द का कायल।
लगा जो तीर- ए-शैय्याद
हुआ मुनिवर का मन घायल।।
दिया जो श्राप वाणी से
बना एक काव्य वो प्यारे।।
समझो पीड़ औरों का
विनयचंद जिन्दगानी में।
बनोगे ज्ञान का सागर
जो सेवा कर जवानी में ।।
लिखा जो कोड़े कागज पर
नहीं वो काव्य है प्यारे।।
Wah
सुन्दर
वाह बहुत सुंदर
Good
आभार आप सभी का
Nice
Nice
Wah
👏👏👏