कुछ तो खेल है

कुछ तो खेल है
हाथ की लकीरों का
हाथ ना आया
लगाया हाथ जिसमें

न पाने की तमन्ना थी
मिला हरदम वही मुझको
जुस्तजू जिसकी थी हमने
उसी से हाथ धो बैठे

जिंदगी बन गई वीरान
और पथरा गई आंखें
अरमां पड़ गए ठंडे
सपने हो गए सपने

किसी ने था कहा हमसे
सब है खेल किस्मत का
हमें भी आ गया ऐतबार
लड़े जब हम मुक़द्दर से

मंजिल है नहीं आसान
बहुत मशरूफ है राहें
कोसते कुछ है किस्मत को
कुछ बनाते हैं खुद राहें

ना हारेंगे कभी हिम्मत
मुश्किलें कैसी भी आएं
जीत जाएंगे हम दुनिया
दो कदम रोज चल करके

दिखा देंगे सभी को हम
आख़िर क्या थे क्या हैं हम
बुलंद है हौसले अपने
मुकद्दर भी बदल देंगे

लोग जो हंसते हैं हम पे
नजर झुक जाएगी उनकी
कुछ तो बात है हममें
वो भी मान जाएंगे

Related Articles

कुछ तो खेल है

कुछ तो खेल है हाथ की लकीरों का हाथ ना आया लगाया हाथ जिसमें न पाने की तमन्ना थी मिला हरदम वही मुझको जुस्तजू जिसकी…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

New Report

Close