कैराना मुद्दा
ज्वलंत “कैराना” मुद्दे पर मेरी चंद पंक्तियां-
कहीं से आ बसी हैं दहशतें, ये घर मेरे ख्वाबों का वीराना ना हो जाये,
खुदाया इल्तज़ा है तू हिफाज़त कर मेरे दिल की,
कहीं बाखौफ़ ये नादान कैराना ना हो जाये l
सियासत कर रही हैं धड़कनें हर, सांस सहमी है,
मेरा ये जिस्म कहीं साजिश का ठिकाना ना हो जाये l
मेरी अरवाह मुझको सुन अभी भी दहशतों को रोक ले,
कहीं कश्मीर सा तेरा भी अफसाना ना हो जाये l
रुखसत हो चलीं हैं धीरे-धीरे मेरी सारी हसरतें,
मेरा ये दिल कहीं मुझसे ही बेगाना ना हो जाये l
हक़ीक़त बेलिबास बैठी है मगर दिखती नहीं इसको,
मेरी नज़र कहीं अखबारों सी फ़रेबाना ना हो जाये l
मेरा झगड़ा किसी मजहब से नहीं, मुझे सबसे मुहब्बत है,
बस ज़रा सी फ़िक्र है ये मुल्क दोज़खाना ना हो जाये ll
अरवाह= आत्मा
दोज़खाना= नर्क
-Er Anand Sagar Pandey
lajabab 🙂
Thank you from the bottom of heart Rakhi ji.