कौन न छला गया……….
किस लिये रो रही हो
नूर अपना खो रही हो
एक ऐसे के लिये जो
छोड़कर चला गया……….
वो था धोखा
पा के मौका
आके तेरे दिल में जो
आग सी लगा गया……….
प्यार कैसा प्रीत कैसी
बन गई है रीत ऐसी
देख इसको, देख उसको
कौन न छला गया……….
————–सतीश कसेरा
shaandaar kavita
Thanks Mohit
good one.. 🙂
Thanks Panna
Good
बहुत खूब
बहुत अच्छी रचना