ख़ुदा पर यकीं
ख़ुदा पर जो भी बंदा यकीं दिखाता है।
तलातुम में फँसी वो सफीना बचाता है।
कठपुतलीयों की डोर है उसके हाथों में,
जाने कब, कहाँ, कैसे, किसे नचाता है।
जो किरदार उम्दा निभा गया रंगमंच में,
खुशियों का इनाम वो यक़ीनन पाता है।
नसीब का लिखा, ना टाल सका कोई,
किये का हिसाब वो ज़रूर चुकाता है।
दौलत ना सही, पर दुआएं कमाई मैंने,
बुरे वक़्त में ‘देव’ दुआएं काम आता है।
देवेश साखरे ‘देव’
तलातुम- समुद्री तुफान, सफीना- कश्ती
Good
Thanks
Nice
Thanks
Wah
शुक्रिया
Bahut khub sir
आभार आपका
Nice
Thanks
nice
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Wah
धन्यवाद
Nice
Thanks